कौन है?-
निरुपण मोहिनी की परवाह किए बिना अपने बर्थडे सेलिब्रेशन को यादगार बनाने के मूड में था। ऊपर से निर्मोहिनी की उपस्थिति ने निरुपण को आकर्षित किया। निर्मोही के मुंह में केक रखते हुए निरुपणे ने जानबूझकर उसके गाल को छुआ। स्पर्श की भाषा समझती हुई मोहीनी के गुलाबी चेहरे पर मुस्कान दोड गई। धीमे संगीत की लय ने फिर से सभी दोस्तों को नृत्य में डूबो दिया। आरव की बाहों में हाथ डालकर म्यूजिक के ताल पर थिरकने वाली निर्मोही आँखों के तीर से निरूपण को बेध चुकी थी। अपनी सफल कोशिश से निर्मोही अपने शिकार को फाँसना चाहती थी। और उसमें पूरी तरह कामयाब भी हो गई। पार्टी से निर्मोही आरव के साथ जब वापस लौट रही थी तो उसने होशियारी से निरूपण को अपना मोबाइल नंबर थमा दिया। वह इस तरह निरूपण को अपने जाल में पूरी तरह फंसा चुकी थी। दोनो ने रास्ते में ही व्हाट्सएप मैसेज के जरिए मिलन की तारीख मुकर्रर कर ली। आज निरूपण से मिलने का दिन था, मगर रात को जो ख्वाब में देखा उसने निर्मही के होश उड़ा दिए। उसके बावजूद निर्मोही ने अपना इरादा नहीं बदला। वह निर्धारित समय पर होटल मिलन की ओर रवाना हो गई। ख्वाब में उसने जो दृश्य देखे थे वह सारे दृश्य इस वक्त उसके सामने घूमने लगे। उसके बदन में अभी भी एक धीमी सी कंपकंपी मौजूद थी। मिलन होटल के सामने समंदर किनारे लहरों को छूकर आती हुई ठंडी हवाएं सैलानियों को यहाँ तक खींच लाती थी। निर्मोही को भी इस जगह से काफी लगाव हो गया था। उसका सिर्फ एक ही लक्ष्य था। जिंदगी को भरपूर जी लेने का। उसकी अपनी सोच थी। वह हमेशा कहती थी कि 'जिंदगी दोबारा मिलने वाली नहीं है इसलिए जिंदगी को ऐसे जियो कि आखिरी साँस लेते वक्त कभी जिंदगी से कोई शिकायत ना रहे।' निर्मोही आरव के साथ बैंक में जॉब करती थी। बैंक मैनेजर आरव के साथ उसकी अच्छी दोस्ती होने के बावजूद दोनों के बीच एक मर्यादा रेखा अंकित थी। ऐसा बिल्कुल नहीं था कि आरव दिखने में लूज था। घुघराले सुनहरे बाल वाला आरव तकरीबन छह फीट ऊंचा मजबूत कसरती बदन का मालिक था। कोई भी लड़की उस पर जान दे सकती थी। इसके बावजूद निर्मोही उसके साथ एक सीमा बांध रखी थी। निर्मोही के लिए पुरुष उसकी कमजोरी जरूर था। मगर जिस पुरुष पर उसकी नजरे ठहर जाती वह पता नहीं क्यो आरव में उसे सिर्फ एक अच्छा दोस्त नजर आ रहा था। बिल्कुल खुले स्वभाव वाली निर्मोही को खुश रखने के लिए आरव अपनी ओर से तमाम कोशिशें करता रहता। अपने बिजनेसमैन दोस्त निरूपण की पार्टी में आरव जानबूझकर निर्मोही को साथ ले गया। उसे लगता था लोगों से मिलने-जुलने के बाद निर्मोही में परिवर्तन आ जाएगा। लेकिन पार्टी में हुई निरूपण की मुलाकात उसके मन पर गहरी छवि अंकित कर गई। वह दिन उसकी जिंदगी में खुशियों की सौगात लेकर आया था। निरूपण के रूप में उसे अपने मनपसंद का साथी मिल गया। अब वह निरूपण की नीली आँखों में डूब जाना चाहती थी। उसका उतावला मन निरूपण की मायाजाल में फँसने को बेचैन हो रहा था। समंदर के किनारे बैठी निर्मोही बार-बार अपनी गाड़ी चेक कर रही थी। समय की गति बिल्कुल स्थगित हो चुकी थी। होटल मिलन से कुछ ही दूरी पर एक कार आकर रुकी। कार से निरूपण को बाहर निकलता देख कर निर्मोही खुशी के मारे झूम उठी। निरूपण को देखते ही उसके सारी थकान उतर गई। निरूपण के कदम जब निर्मोही की और आगे बढ़े तो उसकी धड़कन तेज हो गई। एक तरफ निरूपण की बाहों में खो जाने को मन उतावला हो रहा था तो दूसरी ओर रात को देखे हुए ख्वाब के भयानक साये ने उसके दिलो-दिमाग को जकड़ लिया था। निरूपण बिल्कुल उसके पास आकर रुका। निर्मोही का बदन सिकुड़ गया। उसका रोम रोम अद्भुत रोमांच की अनुभूति कर रहा था। निर्मोही समंदर की लहरों को देख रही थी। इस विशाल समंदर में न जाने कितनी भर्ती को अपने अंदर समा लिया था। धीरे धीरे दरिया की उफनती लहरें बेकाबू होकर किनारे की तरफ बढ़ रही थी। निर्मोही के पसीने छूट गए। समंदर की सफेद जाग उगलती लहरें रक्तिम हो गई हो ऐसा लगा। "दरिया में भरती अक्सर उठती है।" बिल्कुल करीब से निरूपण की आवाज सुनाई दी। "हाँ, भरती के मंजर देखने लायक होते है। किनारे पूरी तरह भीग जाते हैं।" उसने जवाब दिया। "निर्मोही, मुझे गोल-गोल बातें पसंद नहीं है! मैं सीधी बात करना पसंद करता हूँँ। मुझे बुलाकर तुम्हें कोई पछतावा तो नहीं है ना? मजबूरी को वश होकर किया हुआ फैसला जिंदगी के हसीन लम्हों को भरपूर जीने का मजा किरकिरा कर देता है।" "पछतावा कैसा? मैं तो एक आजाद परिंदा हूँ। मनोवांछित साथ मिल जाए तो आसमान में उड़ने की ख्वाहिश रखती हूँ। सितारों को छू लेती हूँ। मैं मन को मार कर जीने में यकीन नहीं रखती। मेरी लाइफ में तुम्हारे आगमन से मैं बहुत खुश हूँ। मेरी तरफ से कोई बंधन नहीं होगा!" "बस बस निर्मोही, तुम्हारे मन की बात जान कर मुझे बहुत सुकून मिला। तुम्हारे साथ आगे बढ़ने में मुझे कोई परेशानी नहीं होगी। तुम मेरा स्वीकार तो करोगी ना?
"जब मैंने आपको सामने से आह्वान दिया हो तब स्वीकार और अस्वीकार का सवाल ही नहीं उठता। मैं तो अब आप के कण-कण में पिघल जाना चाहती हूँ। बस तुमसे इतनी अपेक्षा रखूंगी की जब आप मेरे साथ हो तब सिर्फ मुझ में खो जाओ।" "ऐसा ही होगा, क्योंकि तुझे पाने के बाद तुझ में एकाकार हो जाने के बाद मैं धन्य हो जाऊंगा! मैं चाहता हूँ कि अपनी प्रथम मुलाकात के लिए यही मिलन होटल का आलीशान कमरा साक्षी बने, जहां से हमेशा के लिए मैं अपनी यादों को संभाल कर रख सकूं।" निरूपण ने निर्मोही के दोनों बाजू पकड़कर अपनी और खींच लिया। किसी भी तरह के प्रतिकार के बिना निर्मोही निरूपण की बाहों में समा गई। "चलो अब चलते हैं! हम इस रात को अपनी लाइफ की यादगार रात बनाना चाहते हैं। मिलन होटल के महकते कमरे को अपनी साँसों में भर लेना चाहते हैं।" निरुपण ने मदहोश भरे लहजे में बोलकर अंगड़ाई ली। निर्मोही होठों पर मुस्कान लिए निरूपण के साथ चलने लगी। निरूपण उसका हाथ पकड़कर होटल की और आगे बढ़ा। निर्मोही का दिल इस वक्त जोरो से धड़कने लगा था। न जाने कितने दिनों से ऐसे मर्द की बाहों में डूब जाने को उसका मन तैयार था। आज जाकर वो जरुरत पूरी होने वाली थी। एक अनोखी चमक उसके चेहरे पर दिखाई दी। (क्रमश:)
madhura
27-Sep-2023 10:15 AM
Amazing part
Reply
Gunjan Kamal
27-Sep-2023 08:45 AM
शानदार भाग
Reply